Method of International Payments | अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों के तरीके
अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों की आधुनिक लोकप्रिय व्यवस्था बैंकों के माध्यम से साख-पत्रों द्वारा की जाती है, किन्तु अन्य तरीके भी अपनाये जाते हैं जैसा कि अग्र तालिका से स्पष्ट है :-
{ 1 } आयतों का निर्यातों द्वारा भुगतान ( Exports Pay for Imports ) :- यह अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान की पुरानी पद्धति है, जिसके अंतर्गत एक देश अपने द्वारा आयातित माल एवं सेवाओं का भुगतान उतने ही मूल्य के निर्यातों के द्वारा कर देता है । दो पक्षों में बराबर मूल्य के आयात-निर्यात से लेन-देन का निपटारा हो जाता है, जैसे भारत के A ने इंग्लैंड के B से 1 हजार पौण्ड की मशीन मँगाई और बदले में A ने B को उतने ही मूल्य के कल-पुर्जे निर्यात कर दिये । यह भुगतान दो से अधिक पक्षों में भी आयात-निर्यात द्वारा पूरा कर लिया जाता है ।
{ 2 } धातुओं के हस्तांतरण द्वारा भुगतान ( Payments Through Transfer of Bullion ) :- जब विभिन्न देशों में धात्विक मुद्रामान (स्वर्णमान, रजतमान अथवा द्विधातुमान) प्रचलित था, उस समय अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान सोने-चाँदी के सिक्कों, टुकड़ो अथवा बहुमूल्य धातुओं के हस्तांतरण द्वारा किया जाता था पर भेजने और मँगाने में अत्यधिक खर्च एवं जोखिम होने के कारण प्रायः सभी देशों में यह पद्धति पुरातन हो गई है ।
{ 3 } करैंसी अथवा नकदी हस्तांतरण द्वारा भुगतान ( Payments by Currency Transfers ) :- विदेशी विनिमय की पूर्ण स्वतंत्रता के समय एक देश के लोग अपने आर्थिक दायित्वों का निपटारा करैंसी अथवा नकदी हस्तांतरण द्वारा कर लेते थे । ये नकदी भुगतान प्रायः तीन रूपों में हो सकते थे । (i) देनदार देश की मुद्रा में, (ii) लेनदार देश की मुद्रा में तथा (iii) किसी मान्य अन्य देशों की मुद्रा में । आजकल कठोर विनिमय नियंत्रणों के कारण यह पद्धति लोकप्रिय नहीं है ।
{ 4 } विदेशी मनीऑर्डर द्वारा भुगतान ( Payments by Foreign Money Order ) :- जिस प्रकार डाक सुविधाओं के प्रयोग से मनीऑर्डर द्वारा एक देश के लोग अपने पारस्परिक भुगतान लेते-देते हैं, उसी प्रकार विनिमय नियंत्रण को मान्य सीमाओं के अन्तगर्त एक देश के निवासी छोटी-मोटी रकम के विदेशी भुगतान सरकार की पूर्व अनुमति द्वारा विदेशी मनीऑर्डर ( Foreign Money Order ) के द्वारा करते हैं, जैसे पहले भारत, नेपाल, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान आदि में मनीऑर्डर द्वारा भुगतान की व्यवस्था थी । अब इसका प्रयोग नगण्य-सा है ।
बैंकों के माध्यम से भुगतान :- आजकल बैंकों के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों की पद्धतियाँ काफी लोकप्रिय हैं, जिनमें निम्न उल्लेखनीय हैं -
{ 5 } चैक द्वारा भुगतान ( Payment Through Cheques ) :- जब भुगतानकर्ता का लेनदार के देश में बैंक खाता हो तो वह अपने लेनदार को भुगतान उस देश के बैंक का चैक देकर कर सकता है । लेनदार इस चैक का भुगतान बैंक से प्राप्त कर देगा । यही नहीं, कभी-कभी देनदार विदेशी लेनदार को अपने देश की शाखा का ही चैक दे सकती है । ऐसी स्थिति में लेनदार उसे अपने देश की बैंक को संग्रह के लिए देगा और वह बैंक देनदार के देश में स्थित अपनी शाखा के माध्यम से भुगतान प्राप्त कर लेनदार के खाते में जमा कर देगा । विदेशी विनिमय बैंक समायोजनों द्वारा भुगतान लेते-देते हैं । विनिमय नियंत्रणों के कारण यह भुगतान की विधि नहीं है, क्योंकि ऐसे बैंकों को भुगतान के लिए विनिमय नियंत्रण अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है ।
{ 6 } बैंक ड्राफ्ट द्वारा भुगतान ( Payment Through Bank-Draft ) :- बैंक ड्राफ्ट एक बैंक द्वारा अपनी दूसरी शाखा के नाम लिखा गया एक चैक है । इस पद्धति के अन्तगर्त ऋणी अपने देश में स्थित बैंक में धनराशि जमा कराकर लेनदार के देश की शाखा के नाम बैंक ड्राफ्ट प्राप्त कर लेता है । ऋणी इस ड्राफ्ट को अपने लेनदार को डाक द्वारा भेज देता है । लेनदार इस ड्राफ्ट का भुगतान अपने देश में स्थित उस बैंक शाखा से प्राप्त कर लेता है । दोनों देशों की शाखाएँ ड्राफ्ट की राशि का समायोजन आवश्यक प्रविष्टियाँ करके कर लेती हैं । ड्राफ्ट से रकम भेजने में ड्राफ्ट शुल्क देना पड़ता है । यह पद्धति महँगी है । विनिमय नियंत्रण के कारण नियंत्रण संस्था से अनुमति लेनी पड़ती है ।
{ 7 } डाक द्वारा हस्तांतरण ( Mail Transfer or M/T ) :- बैंक ड्राफ्ट से विदेशों में भुगतान करना प्रायः महँगा पड़ता है, क्योंकि एक तो ड्राफ्ट शुल्क, दूसरा भेजने का हवाई डाक व्यय व रजिस्ट्री खर्च । अतः देनदार ड्राफ्ट के खोने की जोखिम से बचने व मितव्ययिता से भुगतान के लिए, अपने देश में स्थित बैंक को जिसकी शाखा या प्रतिनिधि लेनदार के देश में भी हो, अपने खाते में से एक निश्चित रकम लेनदार के खाते में हस्तांतरित करने का आदेश देता है । देनदार के देश में स्थित बैंक लेनदार सम्बन्धी सब सूचना लेकर तदनुसार लेनदार के बैंक खातें में हस्तांतरित करने की व्यवस्था करता है । इस पद्धति का यह लाभ है कि भुगतान मितव्ययितापूर्ण व शीघ्रता से होता है । ड्राफ्ट के खोने व चुराने का भय नहीं रहता । बैंक लेनदार से एक निश्चित प्रारूप में रसीद लेता है जो लेनदार के लिए पर्याप्त प्रलेखीय प्रमाण होता है ।
विदेशी भुगतानों में तत्परता व विलम्ब के कारण ग्राहक की प्रतिष्ठा को क्षति न हो उसके लिए गारंटी युक्त डाक हस्तांरण ( Guaranteed Mail Transfer ) की व्यवस्था है । इसके अन्तगर्त थोड़ा-सा अधिक शुल्क लेकर बैंक देनदार द्वारा निर्देशित राशि या हस्तांरण भुगतान एक निश्चित अवधि 5, 10, 15 दिन में करने को गारंटी करता है । इस पद्धति को अपनाने में लेनदार को ब्याज की क्षति नहीं होती । समय पर भुगतान से प्रतिष्ठा की रक्षा हो जाती है व भुगतान में विलम्ब नहीं होता ।
{ 8 } तार द्वारा हस्तांतरण ( Telegraphic Transfer ) :- जब देनदार विदेशी लेनदार को भुगतान शीघ्र करवाना चाहता है तो देनदार अपने देश में स्थित ऐसे बैंक में जिसकी शाखा या प्रतिनिधि निर्यातक (लेनदार) के देश में हो, भुगतान की राशि अपनी ही मुद्रा में जमा करवा देता है और उस बैंक में इस आशय का एक प्रपत्र-भरकर उस रकम का भुगतान निर्यातक को तार द्वारा भेजने का आदेश देता है । वह बैंक भुगतान भेजने वाले को रसीद दे देता है तथा निर्यातक देश में स्थित अपनी शाखा या प्रतिनिधि को वह रकम देनदार द्वारा निर्देशित लेनदार को भुगतान करने का आदेश तार द्वारा कर देता है और विदेशी शाखा इसका भुगतान कर उसकी पुष्टि की सूचना दे देती है । पारस्परिक भुगतानों का समायोजन कर दिया जाता है । इस पद्धति में भुगतान शीघ्र हो जाता है पर इसमें बैंक अपने कमीशन के अतिरिक्त तार भेजने का खर्च भी वसूल करता है, अतः खर्चीला है एवं विनिमय नियन्त्रण अधिकारियों की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है ।
{ 9 } विदेशी यात्री चैक ( Foreign Traveller's Cheques ) :- विदेशों में जाने वाले यात्रियों एवं पर्यटकों को अपनी यात्रा सम्बन्धी खर्चों को चुकाने के लिए विदेशी यात्री चैक, भुगतान की काफी लोकप्रिय पद्धति बनती जा रही है । इसके अन्तगर्त यात्री अथवा पर्यटक रास्ते में मुद्रा साथ लेकर चलने की जोखिम से बचने के लिए उस मुद्रा को अपने ही देश के स्थानों पर शाखाएँ हों और उसके बदले में वह बदले में वह बैंक से एक निश्चित जमा राशि के तुल्य यात्री-चैक बुक प्राप्त कर लेता है । इन चैकों के प्रयोग से वह अपने विदेशी यात्रा एवं पर्यटन का भुगतान कर देता है ।
{ 10 } विदेशी विनिमय बिल ( Foreign Exchange Bills ) :- यह अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान का सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित तरीका है । विदेशी विनिमय बिल एक शर्तरहित लिखित आदेश हैं, जिसमें लेनदार एक निश्चित राशि स्वंय को या अपने आदेशित व्यक्ति को माँग पर या निश्चित अवधि के बाद भुगतान का आदेश देता है । मुद्दती बिल पर देनदार "Accepted" "स्वीकार किया" लिखकर तथा हस्ताक्षर कर वापस लेनदार को लौटा देता है । इस बिल पर नियमानुसार टिकट ( Stamp ) लगाना पड़ता है । विदेशी विनिमय बिलों की तीन प्रतियाँ बनाई जाती हैं, जिसका उद्देश्य यह होता है कि अगर पहली प्रति डाक में खो जाए या समय पर न मिलें तो दूसरी व तीसरी प्रतियों का प्रयोग भुगतान लेने हेतु हो सकता है ।
मुद्दती बिल को या तो लेनदार निश्चित अवधि तक अपने पास रखकर भुगतान के लिए प्रस्तुत कर सकता है और अगर शीघ्र भुगतान प्राप्त करना चाहे तो उसकी कटौती अपने देश के बैंक से करवा सकता है । यही नहीं, ऐसे बिलों का बेचान ( Endorsement ) किया जा सकता है और अन्ततः बिल का धारक देनदार से निर्धारित तिथि व उसके बाद भुगतान प्राप्त करने का अधिकार होता है ।
{ 11 } साख-पत्र ( Letter of Credit ) :- विदेशी भुगतानों की यह एक आसान, सुरक्षित एवं लोकप्रिय पद्धति है । जब निर्यातक यह चाहता है कि ज्यों-ज्यों वह माल भेजता रहे त्यों-त्यों उसे आयातक से माल सम्बन्धी प्रलेख सुपुर्द करने पर माल का भुगतान निरन्तर मिलता रहे तो साख-पत्र ( Letter of Credit ) का प्रयोग विदेशी भुगतानों की उपयुक्त पद्धति मानी जाती है ।
साख पत्र ( Letters of Credit ) के जारी करने की प्रक्रिया में सर्वप्रथम आयतकर्ता अपने बैंक के पास निश्चित रकम जमा कर या प्रतिभूति देकर प्रार्थना करता है कि अमुक विदेशी निर्यातकर्ता के पक्ष में साख-पत्र जारी कर दिया जाए तथा निश्चित शर्तों की पूर्ति होने पर व माल सम्बन्धी प्रलेखों की सुपुर्दगी पर समय-समय पर भुगतान कर दिया जाए । आयतकर्ता का बैंक निर्यातकर्ता देश में अपनी शाखा अथवा अपने विदेशी प्रतिनिधि को इस आशय का पत्र लिखता है कि व्यापारिक सौदे की शर्तों की पूर्ति होने पर माल का भुगतान होता रहे । इस प्रकार साख-पत्र लिखने वाला बैंक, निर्यातक देश में स्थित अपनी शाखा या प्रतिनिधि को निर्यातकर्ता के विनिमय बिलों की स्वीकृति या भुगतान के निर्देश देता है । बशर्ते कि तत्सम्बधित व्यापारिक सौदे की शर्तों का पूर्णतः पालन किया गया हो ।
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