Meaning of International Payments | अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान का अर्थ




अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण समस्या विदेशी भुगतानों की है । आन्तरिक व्यापार में तो क्रेता एवं विक्रेता एक ही देश के निवासी एवं एक ही राजनैतिक प्रभुसत्ता में होने के कारण व्यापारिक सौदों व अन्य आर्थिक दायित्वों का निपटारा स्वदेशी प्रचलित मुद्रा के प्रत्यक्ष लेन-देन के द्वारा आसानी से कर लेते हैं पर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में क्रेता और विक्रेता दोनों अलग-अलग देशों के होते हैं । प्रत्येक देश की अपनी अलग-अलग विधिग्राह्य मुद्राएँ होती हैं । एक ही मुद्रा दूसरे देश में विधिग्राह्य व प्रचलित न होने के कारण भुगतान लेने वाला अपने देश की ही प्रचलित मुद्रा में भुगतान लेना चाहता है । यही नहीं, सरकार द्वारा विनिमय नियन्त्रण करने तथा विदेशी विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के कारण अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों में जटिलता बढ़ती है । इसके अतिरिक्त विदेशी भुगतान प्रत्यक्ष न होकर बैंकों, स्वीकृति गृहों, बिल-ब्रोकरों आदि के माध्यम से होते हैं । उसकी प्रक्रिया भी कई औपचारिकताओं से पूर्ण होती है ।


अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों का अर्थ ( Meaning of International Payments ) :-

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं आर्थिक लेन-देनों के कारण एक देश के निवासियों को अपने आर्थिक दायित्व को निपटाने के लिए दूसरे देश के निवासियों को उनकी प्रचलित मुद्राओं अथवा ग्राह्य विदेशी मुद्रा में भुगतान करने पड़ते हैं । मुद्रा हस्तांतरण की यह क्रिया ही अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान कहलाती है । संक्षेप में, हम इसे इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं :-


" अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान का अभिप्राय दो या दो से अधिक देशों के बीच मूल्य हस्तांतरण की उस प्रक्रिया से है, जिसके द्वारा किसी एक देश के निवासी किसी दूसरे देश के निवासियों के आर्थिक दायित्वों का निपटारा करते हैं ।" संक्षेप में यों भी कह सकते हैं कि अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक दायित्वों के निपटारे के लिए दो या दो से अधिक राष्ट्रों के मध्य मौद्रिक हस्तांतरण को अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान कहते हैं ।


अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान की मुख्य विशेषताएँ । Main Characteristics of International Payments

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर इसकी निम्न विशेषताएँ उल्लेखनीय हैं :-

{ 1 } दो पक्ष ( Two Parties ) :- अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों में भी आन्तरिक भुगतानों की भाँति दो पक्ष होते हैं - (i) भुगतान देने वाला या भेजने वाला तथा (ii) दूसरा भुगतान लेने वाला या मँगाने वाला ।


{ 2 } दो या दो से अधिक देशों के मध्य व्यवहार ( Transaction between two or more Countries ) :- अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों के लिए दो या दो से अधिक राष्ट्रों का होना जरूरी है । एक ही राष्ट्र में विभिन्न देशों के नागरिकों के मध्य भुगतान व्यवहार को हम अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान नहीं कह सकते । अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान के अन्तगर्त एक देश से दूसरे देश की मूल्य-हस्तांतरण आवश्यक शर्त है  ।


{ 3 } आर्थिक दायित्वों का निपटारा ( Settlement of International Liabilities ) :- अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों की आवश्यकता इसलिए होती है कि विभिन्न देशों के निवासी अपने आर्थिक दायित्वों, जैसे - आयात-निर्यात, भुगतान, पूँजी, ऋण, लाभ, ब्याज आदि के भुगतान अथवा आर्थिक सहायता, अनुदान दिया को निपटाना चाहते हैं ।


{ 4 } मूल्य हस्तांतरण ( Transfer of Value ) :- अलग-अलग देशों में अलग-अलग मुद्राएँ प्रचलित एवं विधिग्राह्य होती हैं, अतः प्रत्येक भुगतान लेने वाला प्रायः अपने ही देश की मुद्रा में भुगतान लेना चाहता है । उसके लिए या तो बहुमूल्य धातुएँ भेजी जाती हैं अथवा बैंकों के माध्यम से उतने ही मूल्य का हस्तांतरण एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा के विनिमय द्वारा किया जाता है ।


{ 5 } जटिल प्रक्रिया ( Complicated Process ) :- अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों की प्रक्रिया बड़ी ही जटिल एवं सामान्य व्यक्ति की समझ से परे होती है । बैंकों अथवा वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से उन्हें पूरा किया जाता है ।


{ 6 } अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों में सरकारी हस्तक्षेप एवं विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव की समस्या आ जाती है ।


{ 7 } गैर-आर्थिक अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान ( Non-Economic International Payments ) :- अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों में कई बार गैर-आर्थिक भुगतान जैसे विदेशी सहायता, युद्ध मुआवजा भुगतान, राजनायिक प्रतिनिधि मण्डलों पर व्यय तथा इनामों एवं पारितोषिक भुगतानों आदि पर व्यय करना पड़ता है ।


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